अधिक्तर पेड़ो के तने बेलनाकार (गोलाकार) क्यों होते हैं ?
आप सभी ने अपनी जिन्दगी
में पेड़ो को देखा ही होगा| उन पेड़ो के तने को गौर से देखिये| क्या आप बता सकते हैं
की इन तनो का आकर गोलाकार क्यों होता हैं? नहीं!
तो चलिए जानते हैं|
TREETRUNK |
1. तने का गोलाकार होने का कारण:-
वैसे तो
हम सभी ने छोटी क्लासो में पढ़ा ही हैं कि पेड़-पोधे छोटी-छोटी कोशिकाओ के बने होते
हैं| कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने सन 1665 में की थी| ये कोशिकाए अलग-अलग प्रकार
से आपस में जुडी होती हैं| जैसे सर्पिल (सांप जैसी आकृति), कुंडलीदार (गोल-गोल
छल्ले के आकर के) या गोलाकार आदि|
TREE LOG |
पौधो की आकृति कुछ अंश तक कोशिकाओं की आकृति पर
और कुछ-कुछ इन के क्रम विन्यास (कोशिकों के क्रम अनुसार) पर निर्भर करती हैं|
कोशिकाए मिलकर उत्तक बनाते हैं| इन्ही में से एक संचार होता हैं| जो पौधो के तने
में पाया जाता हैं| यह संचार उत्तक जाइलम व फ्लोयम की संकरी नालियों से युक्त होते
हैं|
जाइलम
का काम पौधे में जल व खनिज लवणों को पहुचाने का कार्य करता हैं| इसलिए ये तने के भीतर होता हैं| समय
के साथ-साथ यह उत्तक मृत होता जाता हैं तथा तने को एक काष्टीय (लकड़ी) बना देता
हैं|
xylem and phloem |
फ्लोयम खाद्य पदार्थ
(भोजन) को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुचाने का कार्य करता हैं| इसलिए यह जाइलम के
चारो ओर गोलाकार (बेलनाकार) आकर में वृध्दि करता हैं तथा बाहर की कोशिका भीत्ति (दीवार/छाल)
का निर्माण करता हैं|
क्योंकी तना परत-दर-परत
बाहर की त्रिज्यीय (गोलाकार) रूप में बढता हैं| इसी कारण तना बेलनाकार (गोलाकार) रूप
धारण कर लेता हैं|
2. क्या गोलाकार के आलावा अन्य आकार के तने होते हैं?
हाँ! होते हैं| जरुरी नही हैं कि सभी
पेड़-पौधे के तने गोलाकार हो| जैसे घास के पौधे का तना तिकोना होता हैं| तो तुलसी
और अन्य पौधो का तना चौकोर होता हैं|
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