रबर क्या हैं और कैसे बनता हैं ?
1.रबर :-
रबर एक ऐसा पदार्थ हैं जो हमारे जीवन के अनेक कार्यो में उपयोगी पाया जाता हैं। इससे टायर-ट्यूब से लेकर त्रिपाल, वाटर प्रूफ कपडे और बोतल की डाट तक हज़ारो प्रकार की वस्तुए बनाई जाती हैं। बिजली के प्रति कुचालक होने के कारण विधुत उपकरण में इसका उपयोग विशेष हैं।
rubber plant |
2.रबर बनाने की प्रक्रिया :-
अ. प्राकृतिक :-
प्राकृतिक रबर पेड़ो से प्राप्त की जाती हैं। वैसे तो रबर के पेड़ों की 400 से भी ज़्यादा किस्में मौजूद है लेकिन सबसे ज़्यादा रबर ‘हैविया ब्राजिलिएन्सिस’ से मिलता है। पेड़ लगाने के 5 साल बाद, उस पेड़ से लैटेक्स निकलना शुरू हो जाता है और लगभग 40 सालों तक निकलता रहता है। एक एकड़ में करीब 150 पेड़ लगाए जाते हैं जिनसे 150 से 500 पाउंड तक रबर मिल जाता है। इसके अलावा ‘फाइकस इलैस्टिका’ नामक पेड़ से भी रबर प्राप्त होता है।
रबर के लिए इन पेड़ो से एक तरल पदार्थ निकला जाता हैं जो लैटेक्स कहलाता हैं। ऐसी के सूखने पर प्राकृतिक रबर बनता हैं। यह ठोस कार्बनिक पदार्थ होता हैं। खींचने पर अपनी लम्बाई के लगभग 8 गुना तक खींचा जा सकता हैं यह लचीला होता हैं , तभी तो इससे गुब्बारे, गेंदे, जूते तथा पाइप आदि आसानी से बन जाते हैं।
ब. कृत्रिम :-
प्राकृतिक रबर पेड़ों से मिलता हैं वहीँ कृत्रिम रबर केमिकल रिएक्शन के ज़रिये प्राप्त कर लिया जाता है। रबर का वल्कनीकरण करके अपेक्षाकृत ज़्यादा मजबूत और टिकाऊ रबर प्राप्त किया जाता है। वल्कनीकरण एक ऐसी केमिकल रिएक्शन होती है जिसमें रबर को गंधक जैसे पदार्थ के साथ मिलाकर, प्राकृतिक रबर की तुलना में ज़्यादा उपयोगी बनाया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद रबर पर पानी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ये चिपचिपा भी नहीं रहता ।
rubber tree |
3. रबर के नाम के पीछे की कहानी :-
यह तो रही रबर की प्राप्ति और उपयोगिता की बातें , लेकिन इसका नाम रबर रखे जाने की घटना बड़ी दिलचस्प हैं। हुआ यूँ की जब कोलंबस अपनी दूसरी समुंद्री यात्रा पर गया था तो उसने हाइटी के निवासियों के बच्चो को उछलती-कूदती गेंद से खेलते देखा था। यह गेंद पेड़ो के लैटेक्स को जमाकर बनाई गयी थी। कोलंबस भी इस लैटेक्स को अपने साथ यूरोप ले आया था। वहां अनेक वैज्ञानिको ने इस प्रदार्थ की जांच-पड़ताल की। इन्ही ने एक जोसफ गेस्टले नामक अंग्रेज वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपने प्रयोगो में पाया कि इस प्रदार्थ से रब करने या रगड़ने पर पेंसिल का लिखा हुआ आसानी से मिट जाता हैं। अतः इस गुण के कारण उन्होंने इसका नाम रबर रख दिया। तभी से इसे रबर कहा जाता हैं।
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तो दोस्तों, अब आप जान चुके हैं कि जिस रबर का इस्तेमाल आप अपने हर दिन में, बहुत बार करते हैं वो रबर कहाँ से आता है। उम्मीद है कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
आपको यह लेख कैसा लगा? अगर इस लेख से आपको कोई भी मदद मिलती है तो हमें बहुत खुशी होगी। अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे। हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ है, हमेशा स्वस्थ रहे और खुश रहे।
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